Deshbhakti Kavita - Sarfaroshi ki tamanna

देशभक्ति का नाम आते ही हर किसी की दिल मे एक नयी उमंग उत्साह और जोश आ जाता है चाहे वो किसी भी देश का क्यों न हो। माँ और मातृभूमि से प्रेम मनुष्य का स्वभाव है जो कि सदियों से चला आ रहा है और सदियो तक चलता रहेगा। आज में आपके लिए लेकर आया हु एक देशभक्ति कविता - सरफरोशी की तमन्ना जो कि एक भारतीय  भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखी एक प्रसिद्ध देशभक्तिपूर्ण ग़ज़ल है जिसमे उन्होंने आत्मोत्सर्ग और देशप्रेम की भावना को व्यक्त किया था।यह ग़ज़ल उनके उर्दू छ्न्द बहरे-रमल में लिखी गई है। ज्यादातर हमारे लिखने पढ़ने में यही आया है कि इस कविता को राम प्रसाद बिस्मिल जी ने लिखा है पर लेकिन वास्तव में ये अज़ीमाबाद जो की पटना के मशहूर शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी की हैं और राम प्रसाद बिस्मिल, एक भारतीय महान क्रान्तिकारी नेता ने मुकदमे के दौरान अदालत में अपने साथियों के साथ सामूहिक रूप से गाकर लोकप्रिय भी बनाया। 


देशभक्ति कविता - सरफ़रोशी की तमन्ना


Deshbhakti Kavita - Sarfaroshi ki tamanna


सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।

देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?


करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,

अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,

हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है

खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,

आशिक़ोँ का आज जमघट कूच-ए-क़ातिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।


है लिये हथियार दुश्मन, ताक में बैठा उधर

और हम तैय्यार हैं; सीना लिये अपना इधर।

खून से खेलेंगे होली, गर वतन मुश्किल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।


हाथ, जिन में हो जुनूँ, कटते नहीं तलवार से;

सर जो उठ जाते हैं वो, झुकते नहीं ललकार से।

और भड़केगा जो शोला, सा हमारे दिल में है;

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।


हम तो निकले ही थे घर से, बाँधकर सर पे कफ़न

जाँ हथेली पर लिये लो, बढ चले हैं ये कदम।

जिन्दगी तो अपनी महमाँ, मौत की महफ़िल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।


यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल, कह रहा है बार-बार;

क्या तमन्ना-ए-शहादत, भी किसी के दिल में है?

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब;

होश दुश्मन के उड़ा, देंगे हमें रोको न आज।

दूर रह पाये जो हमसे, दम कहाँ मंज़िल में है


वह जिस्म भी क्या जिस्म है, जिसमें न हो ख़ून-ए-जुनूँ;

तूफ़ानों से क्या लड़े जो, कश्ती-ए-साहिल में है।


सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है;

देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है।


In Hinglish


Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai 

Dekhna hai zor kitna baazu-e-qaatil mein hai 


Karta nahin kyun doosra kuch baat-cheet 

Dekhta hun main jise woh chup teri mehfil mein hai 

Aye shaheed-e-mulk-o-millat main tere oopar nisaar 

Ab teri himmat ka charcha ghair ki mehfil mein hai 

Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai


Waqt aanay dey bata denge tujhe aye aasman

Hum abhi se kya batayen kya hamare dil mein hai 

Khainch kar layee hai sab ko qatl hone ki ummeed 

Aashiqon ka aaj jumghat koocha-e-qaatil mein hai 

Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai 


Hai liye hathiyaar dushman taak mein baitha udhar 

Aur hum taiyyaar hain seena liye apna idhar 

Khoon se khelenge holi gar vatan muskhil mein hai 

Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai


Haath jin mein ho junoon katt te nahi talvaar se 

Sar jo uth jaate hain voh jhukte nahi lalkaar se 

Aur bhadkega jo shola-sa humaare dil mein hai 

Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai 


Hum to ghar se nikle hi the baandhkar sar pe kafan 

Jaan hatheli par liye lo barh chale hain ye qadam 

Zindagi to apni mehmaan maut ki mehfil mein hai 

Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai 


Yuun khadaa maqtal mein qaatil kah rahaa hai baar baar 

Kya tamannaa-e-shahaadat bhi kisee ke dil mein hai 

Dil mein tuufaanon ki toli aur nason mein inqlaab 

Hosh dushman ke udaa denge humein roko na aaj

Duur reh paaye jo humse dam kahaan manzil mein hai 


Wo jism bhi kya jism hai jismein na ho khoon-e-junoon 

Kya lade toofaanon se jo kashti-e-saahil mein hai 


Sarfaroshi ki tamanna ab hamaare dil mein hai. 

Dekhna hai zor kitna baazuay qaatil mein hai


निष्कर्ष

आशा करता हु की बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखी  देशभक्ति कविता - सरफ़रोशी की तमन्ना आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही कविताओं, हिंदी शायरी पढ़ने के लिए आप इस ब्लॉग पर बने रहे और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करते रहे। धन्यवाद


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